Film Review -खूबसूरत संदेश के साथ ‘सितारे जमीन पर‘ आपको सिखाएगी कि ‘नॉर्मल’ क्या है, ये सवाल खुद से पूछो, दूसरों से नहीं.

'सितारे जमीन पर’ फ्रांस की हिट फिल्म ‘चैंपियंस’ का हिंदी अडाप्शन है. इस फिल्म में न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों का किरदार निभाने के लिए डाउन सिंड्रोम और ऑटिज्म से पीड़ित कलाकारों को कास्ट किया है. आमिर खान ने हमेशा अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज की रियलिटीज और सीरियस इश्यूज को ऐसे दिखाया हैं. जिससे आम ऑडीयंस भी खुद को उससे रिलेट कर पाती हैं.

Film Review -खूबसूरत संदेश के साथ ‘सितारे जमीन पर‘ आपको सिखाएगी कि ‘नॉर्मल’ क्या है, ये सवाल खुद से पूछो, दूसरों से नहीं.

एक बार फिर बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ यानि आमिर खान ने अपनी नई फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ के साथ सिनेमाघरों में धमाकेदार एंट्री कर ली हैं. हर बार की तरह इस बार भी आमिर की एक्टिंग का जादू कमाल का हैं. ये आमिर का अंदाज ही हैं जो एक सीरियस सब्जेक्ट को भी फनी और हल्के-फुल्के अंदाज में दर्शकों के सामने पेश करते हैं. इस बार आमिर खूबसूरत मैसेज के साथ एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं, जो आपको सिखाएगी कि ‘नॉर्मल’ क्या है, ये सवाल खुद से पूछो, दूसरों से नहीं. ये फिल्म दिल और दिमाग दोनों को छू जाती है.

फिल्म की कहानी

'सितारे जमीन पर’ की कहानी फ्रांस की हिट फिल्म ‘चैंपियंस’  का हिंदी अडाप्शन है. इस फिल्म में न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों का किरदार निभाने के लिए डाउन सिंड्रोम और ऑटिज्म से पीड़ित कलाकारों को कास्ट किया है. जिन्हें हमारे समाज में अक्सर बिना सोचे-समझे ‘पागल’, ‘मेंटल’, या ‘अलग’ कहकर किनारे कर दिया जाता है. ऐसे बच्चों लेकर फिल्म बनाना आसान नहीं हैं. फिल्म में आमिर खान फुटबॉल कोच  गुलशन का किरदार निभा रहें हैं जो हाइट में तो कम हैं, लेकिन टैलेंट से भरपूर हैं. वो गुस्से वाला, चिड़चिड़ा और जिंदगी की उलझनों में घिरा हुआ हैं. गुलशन अपनी कुछ बैड हैबिट्स की वजह से पुलिस और कोर्ट तक पहुंच जाता हैं जहाँ  पनिशमेंट के तौर पर जज उन्हें कम्युनिटी सर्विस के तौर पर न्यूरोडाइवर्जेंट लोगों को बास्केटबॉल सिखाने का काम देती हैं. लेकिन फिल्म में न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों को सिखाने आया ये कोच (गुलशन ) खुद ही उनसे बहुत कुछ सीख कर जाता है.

रियलिटीज और सीरियस इश्यूज-

आमिर खान ने हमेशा अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज की रियलिटीज और सीरियस इश्यूज को ऐसे दिखाया हैं. जिससे
आम ऑडीयंस भी खुद को उससे रिलेट कर पाती हैं. आमिर की अधिकतर फ़िल्में बहुत सेंसिटिव और इम्पोर्टेन्ट सब्जेक्ट पर आधारित होती हैं. इसके साथ ही इनकी फिल्म में फुल एंटरटेनमेंट भी होता हैं ताकि फिल्म में बैलेंस बना रहे ‘सितारे जमीन पर’ भी इसी कड़ी में जुड़ी शानदार फिल्म है.

बेहतरीन किरदार-

इस फिल्म में किरदारों की बात करें तो फिल्म की असली जान ये 10 न्यूरोडाइवर्जेंट कलाकार हैं वो सिर्फ एक्टिंग नहीं कर रहे, ये अपनी जिंदगी को पर्दे पर जीते हैं. सतबीर से लेकर गुड्डू और शर्मा जी से लेकर गोलू तक सभी दस खास कलाकारों से आपको प्यार हाे ही जाएगा क्योंकि फिल्म में इन सभी ने एक्टिंग नहीं की है. वही आमिर ने अपने इस किरदार को बड़ी खूबसूरती के साथ निभाया है. इसके अलावा इसमें जेनिलिया देशमुख, ब्रिजेंद्र काला आरुष दत्ता, सिमरन मंगेशकर, वेदांत शर्मा, गोपी के वर्मा  और डॉली अहलुवालिया भी नजर आयेंगी. जिन्होंने अपने-अपने किरदार को बखूबी निभाया हैं.

कमाल के डायलॉग-

फिल्म में शामिल किए गए कुछ असर डालते सीन और डायलॉग हैं, जैसे- “झगड़े में चाहें तुम जीतो या मैं, हारेगा तो हमारा रिश्ता ही’ ये डायलॉग फिल्म खत्म होने के बाद भी हमारे जेहन में रह जाते हैं. फिल्म में आमिर का एक डायलॉग है जहां वो कहते हैं, ‘मैं इन बच्चों को नहीं, ये बच्चे मुझे काफी कुछ सिखा रहे हैं।’

मैसेज देती फिल्म -

फिल्म के निर्देशक आर एस प्रसन्ना ने कॉमेडी के जरिए पूरी फिल्म में कई बड़े संदेश दिए हैं. अंत में फिल्म आपसे एक सवाल पूछती है. आपका अपना नॉर्मल क्या है? वही दिव्या निधि शर्मा ने फिल्म की कहानी को भारतीय रंग में ढालकर देसी अंदाज दिया है. फिल्म में न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों से एक्टिंग कराना आसान नहीं लेकिन उन्होंने बड़ी सहजता से इन्हें बड़े पर्दे पर दिखाया और बताया हर ‘अलग’ दिखने वाला इंसान असल में कितना खास होता है.

फिल्म म्यूजिक के मामले में थोड़ी कमजोर है. फिल्म के सांग उतने यादगार नहीं बन पाए हैं. लेकिन खूबसूरत मैसेज देती इस फिल्म को एक बार देखिएगा जरूर ये फिल्म आपका नज़रिया जरूर बदल देगी.

रिलीज: 20 जून 2025
रेटिंग: 4/5