श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी दिवस के अवसर पर दिल्ली में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया
इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी के सहयोग से स्पाइनल कॉर्ड की सुरक्षा पर केंद्रित रही. कार्यक्रम में व्हीलचेयर डांस, नुक्कड़ नाटक और व्हीलचेयर क्रिकेट जैसे सांस्कृतिक एवं खेल कार्यक्रम भी आयोजित किए गए.

5 सितम्बर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे के अवसर पर श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली ने 14 राष्ट्रीय सोसाइटियों के साथ मिलकर और भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज के सहयोग से एक विशाल व्हीलचेयर रैली का आयोजन किया. इस रैली में 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें 100 से ज्यादा व्हीलचेयर यूज़र्स और लगभग 200 सक्षम व्यक्ति शामिल रहे. इस पहल का उद्देश्य स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की रोकथाम, जागरूकता बढ़ाना और प्रभावित लोगों के पुनर्वास व सामाजिक समावेशन को प्रोत्साहित करना था.
इस वर्ष की थीम स्पाइनल कॉर्ड की सुरक्षा पर केंद्रित रही-
इंटरनेशनल स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी के सहयोग से इस वर्ष की थीम गिरने से बचाव, स्पाइनल कॉर्ड की सुरक्षा पर केंद्रित रही. कार्यक्रम में व्हीलचेयर डांस, नुक्कड़ नाटक और व्हीलचेयर क्रिकेट जैसे सांस्कृतिक एवं खेल कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें व्हीलचेयर पर रहने वाले व सक्षम प्रतिभागियों ने मिलकर प्रदर्शन किया.
मजबूत संदेश देना चाहते हैं-
इस अवसर पर श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट, दिल्ली के स्पाइन एवं रिहैबिलिटेशन, डॉयरेक्टर डॉ. एच.एस. छाबड़ा ने कहा कि, “स्पाइनल कॉर्ड इंजरी किसी को भी, कहीं भी हो सकती है और इसके परिणाम जीवन बदल देने वाले होते हैं. दुर्भाग्य से हमारे समाज में इसकी रोकथाम और पुनर्वास को लेकर जागरूकता बहुत कम है. आज की व्हीलचेयर रैली जैसे प्रयासों के ज़रिए हम यह मजबूत संदेश देना चाहते हैं कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी रोकी जा सकती है और सही देखभाल, तकनीक और सहयोग से प्रभावित व्यक्ति भी सार्थक और उत्पादक जीवन जी सकता है. हमारा ध्यान होना चाहिए गिरने से बचाव, सड़क सुरक्षा और समय पर इलाज पर, साथ ही पहले से प्रभावित लोगों को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने पर.”
आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी-
मेडिकल विशेषज्ञों और रिहैबिलिटेशन टीम ने जनता को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से बचाव के उपाय, शुरुआती इलाज और उन आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी, जो प्रभावित लोगों की ज़िंदगी बदल सकती हैं. भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख नए मामले सामने आते हैं. ऐसे अभियानों का उद्देश्य सिर्फ़ चोटों की रोकथाम नहीं है, बल्कि प्रभावित व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास और उन्हें समाज में दोबारा शामिल करने को भी बढ़ावा देना है.
यह आयोजन केवल एक रैली नहीं बल्कि याद दिलाने वाला संदेश-
रैली का समापन एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ हुआ, जहाँ प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और डॉक्टरों ने एडवांस व्हीलचेयर, एक्सोस्केलेटन और डिजिटल रिहैब टूल्स जैसी आधुनिक तकनीकों की स्वतंत्रता बहाल करने में भूमिका पर जोर दिया. यह आयोजन केवल एक रैली नहीं, बल्कि एक याद दिलाने वाला संदेश था कि रोकथाम, सहयोग और नवाचार की हर कोशिश स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से पीड़ित व्यक्ति की ज़िंदगी बदल सकती है.