राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुदामा कुटी के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगी
आश्रम के संस्थापक गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज के वंदावन आगमन के सौ साल पूरे होने पर आश्रम में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसकी शुरुआत राष्ट्रपति मुर्मु के हाथों होगी.

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु 25 सिंतबर को वृंदावन आ रही है. वृंदावन में अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति बांके बिहारी मंदिर, निधि वन के अलावा सुदामा कुटी जा रही है. श्रीधाम वृंदावन में सुदामा कुटी के सौ साल पूरे हाने पर होने वाले कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के हाथों होगा. इसके लिए आश्रम में भव्य स्वागत की तैयारी चल रही है.सुदामा कुटी की स्थापना श्री सुदामादास जी महाराज ने 1926 में की थी औऱ तब से निरंतर यह आश्रम संतो की सेवा में लगा हुआ है.
पारंपरिक तरीके से स्वागत की तैयारी-
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के वृंदावन आगमन को खास बनाने की तैयारी जोरों पर है. ब्रज में पारंपरिक तरीके से स्वागत की तैयारी चल रही है. इसको भव्य बनाने की पूरी तैयारी है और स्वागत के लिए पूरे वृंदावन को सजाया जा रहा है. सुदामा कुटी के मुख्य महंत सुतीक्ष्ण दास महाराज ने बताया कि ऱाष्ट्रपति मुर्मू भजन कुटी का लोकापर्ण करेंगी और सुदामा कुटी में थोडा समय संतो के साथ रहेंगी. महंत सुतीक्ष्ण दास ने यह भी बताया कि आश्रम के संस्थापक गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज के वंदावन आगमन के सौ साल पूरे होने पर आश्रम में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसकी शुरुआत राष्ट्रपति मुर्मु के हाथों होगी.अपने प्रवास के दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु आश्रम में पारिजात का पौधरोपण भी करेंगी औऱ संतों से चर्चा भी करेंगी.
क्या है सुदामा कुटी-
श्री धाम के नाम से जाने जाना वाला वृंदावन में वैसे तो हजारों मंदिर औऱ आश्रम है लेकिन संत सेवा के लिए जाने जाना वाला सुदीमा कुटी अपनी अलग जगह रखता है । सुदामा कुटी आश्रम बंशीवट और गोपेश्वर महादेव मंदिर के बीच स्थित है जहां हजारों संतो की सेवा की जाती है. अपनी निशुल्क सेवाओँ के लिए जाने जाना वाला सुदामा कुटी आश्रम संतों के बीच अपनी अलग पहचान रखता है.
सुदामा कुटी की स्थापना-
सुदामा कुटी की स्थापना गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज ने की थी. आश्रम के छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज ने बताया कि अनंत विभूषित संत सुदामा दास जी महाराज जी का का जन्म बिहार राज्य के गोपालगंज जिला स्थित छिपाया नाम के गांव में 1899 ई को हुआ था. बचपन से ही वैराग्य की प्रबल इच्छा तथा साधु संतों से लगाव बहुत ही स्वाभाविक था. महाराज जी जनकपुर तथा अयोध्या जी में वास करने के बाद 1926 में वृंदावन को प्रस्थान किया और यही सुदामाकुटी की स्थापना की. संत सुदामा दास जी का श्री धाम आगमन 1926 में हुआ था औऱ तब से ही वे संत सेवा में लग गए थे. छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज मे यह भी बताया कि सुदामा कुटी में कई मंदिर है. जहां सुबह से शाम कर भजन कीर्तन जारी रहता है औऱ संतों की सेवा में लगे संत गौशाला में गाय माता की सेवा करते है तो जरुरतमंदों की सेवा भी उसी भाव से की जाती है.