विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल में जीवन के संघर्षों को शेयर करते कैंसर फाइटर
धर्मशिला नारायणा अस्पताल के हेड एंड नेक कैंसर सपोर्ट ग्रुप ने 31 मई को ‘तम्बाकू के खिलाफ एकजुट’ कार्यक्रम के ज़रिए दिखा दिया कि इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं होता असली इलाज समझ, साथ और उम्मीद से होता है. इस विश्व ‘तम्बाकू निषेध दिवस पर आयोजित इस आयोजन में 150 से अधिक मरीजों, कैंसर से जीतने वालों, उनके परिवारों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

दर्द और खुशी के आंसुओं से भरे एक भावनात्मक माहौल में, धर्मशिला नारायणा अस्पताल के हेड एंड नेक कैंसर सपोर्ट ग्रुप ने 31 मई को ‘तम्बाकू के खिलाफ एकजुट’ कार्यक्रम के ज़रिए दिखा दिया कि इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं होता असली इलाज समझ, साथ और उम्मीद से होता है. इस विश्व ‘तम्बाकू निषेध दिवस पर आयोजित इस आयोजन में 150 से अधिक मरीजों, कैंसर से जीतने वालों, उनके परिवारों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.
जीवन के संघर्षों को शेयर करते कैंसर फाइटर-
अस्पताल का ऑन्को ओपीडी रिसेप्शन एरिया एक उम्मीद और अपनेपन से भरे स्थान में तब्दील हो गया. इस कार्यक्रम के सबसे असरदार पल तब आए जब कैंसर से लड़ चुके, हरिंदर, मनोज जैन और पुष्पिंदर ने अपने जीवन के संघर्षों को साझा किया. जब हरिंदर ने बताया कि उन्हें कभी लगा था उनकी आवाज़ अब किसी काम की नहीं रही, और जब मनोज ने बताया कि कैसे उनके परिवार का साथ उनके लिए एक जीवन रेखा बन गया, पूरा कमरा भावुक हो उठा.
हेड एंड नेक कैंसर सिर्फ बीमारी नहीं-
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. शुभम गर्ग ने कहा, इन बहादुरों लोगों को अपनी कहानियां शेयर करते देखना याद दिलाता है कि हेड एंड नेक कैंसर सिर्फ एक बीमारी नहीं है ये आपकी पहचान, आवाज़, आत्मविश्वास और जीवन जीने के तरीके को प्रभावित करता है. आज का दिन बताता है कि जब हम इनकी कहानियों को जगह देते हैं, तो हम इलाज को गहराई देते हैं.
आशा की रौशनी का प्रतीक- दीप प्रज्ज्वलन और कार्यक्रम समापन-
दीप प्रज्वलन का समारोह बेहद खास रहा, जब कैंसर से जीतने वालों और उनके परिवारों ने मिलकर दिए जलाए, ये उनके जैसे और लोगों के लिए आशा की रौशनी का प्रतीक बन गया. कार्यक्रम में डॉ. मनीष टंडन ने स्वागत भाषण दिया और कहा, जो बात सबसे ज़्यादा छू गई वो ये थी कि कई मरीज, जो अब तक चुपचाप अपना दर्द सहते थे, आज पहली बार महसूस कर रहे थे कि वो अकेले नहीं हैं. ये सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं है, ये लोगों का आत्मबल लौटाना और टूटे परिवारों को जोड़ने का प्रयास है.
कैंसर की चुनौतियों के बीच भी ज़िंदगी की खूबसूरती-
कार्यक्रम में डॉ. अंबेश सिंह, प्रो. डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. जयप्रकाश जयवेलु मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट, और सीनियर सायकोलॉजिस्ट संध्या शर्मा ने महत्वपूर्ण जानकारी और व्यावहारिक सुझाव दिए, जिससे उपस्थित लोगों को बीमारी से लड़ने की नई ऊर्जा मिली. सुश्री प्रिया, सुश्री छवि, सुश्री नेहा और श्री सौरभ द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने खुशी के पल दिए. यह साबित किया कि कैंसर की चुनौतियों के बीच भी ज़िंदगी की खूबसूरती बनी रहती है. कई परिवार लंबे समय बाद मुस्कराते और हँसते नजर आए.
कार्यक्रम के समापन पर संचालन निदेशक डॉ. प्रहलाद प्रसाद अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा, मैं दशकों से स्वास्थ्य क्षेत्र में हूं, लेकिन ऐसे दिन ही याद दिलाते हैं कि हम ये सब क्यों करते हैं. आज मरीज यहां से नए दोस्तों के साथ, हिम्मत के साथ और व्यावहारिक मदद लेकर लौटे हैं. यही असली इलाज है.”
नई सपोर्ट नेटवर्क की नींव-
इसलिए कार्यक्रम की सबसे खास बात रही कि इस आयोजन ने एक नई सपोर्ट नेटवर्क की नींव रखी. लोगों ने संपर्क जानकारी साझा की, भविष्य में मिलने की योजना बनाई, और कई ने नए मरीजों को मेंटर बनने का प्रस्ताव भी दिया. पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया लेकिन असली जीत उस समुदाय की थी जो यहां से बनी. इस उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद, धर्मशिला नारायणा अस्पताल ने हर महीने ऐसे सपोर्ट ग्रुप मीटिंग्स आयोजित करने की घोषणा की है, जिससे आज शुरू हुआ यह जुड़ाव पूरे साल जारी रहेगा.